ग़म है वहीं प ग़म का सहारा गुज़र गया दरिया ठहर गया है किनारा गुज़र गया बस ये सफ़र हयात का इतनी सी ज़िंदगी क्यूँ इतनी जल्दी रास्ता सारा गुज़र गया वो जिस की रौशनी से चमकना था बख़्त को किस आसमान से वो सितारा गुज़र गया क्या ज़िक्र उस घड़ी का कड़ी थी कि सहल थी जो वक़्त जिस तरह भी गुज़ारा गुज़र गया तफ़्हीम-ए-दोस्ती में बड़ी भूल हो गई फिर दूर से ही दोस्त हमारा गुज़र गया कर के यक़ीन फिर से कि मैं मुश्किलों में हूँ ठहरा नहीं वो शख़्स दोबारा गुज़र गया इक वक़्त ख़ुश-नसीब सा आया तो था 'अदीम' मद्धम सी इक सदा में पुकारा गुज़र गया मुजरिम हुआ था आँख झपकने का मैं 'अदीम' जो ज़ेहन में बसा था नज़ारा गुज़र गया