ग़म हो कि ख़ुशी कोई तमाशा नहीं करते कुछ लोग किसी बात का चर्चा नहीं करते बे-वज्ह तो होती नहीं आँगन की ख़मोशी बच्चों को हर इक बात पे टोका नहीं करते इंसान की फ़ितरत का अजब हाल है यारो कुछ पेड़ घने होते हैं साया नहीं करते इक उम्र गँवाई है उसी मोड़ पे हम ने पल भर को मुसाफ़िर जहाँ ठहरा नहीं करते हम तेग़-ओ-सिपर छीन लिया करते हैं 'अंजुम' ज़ालिम से कभी ज़ुल्म का शिकवा नहीं करते