ग़म जुदा पेश रहा है मिरे अफ़्कार जुदा दिल पे ये मार जुदा रहती है वो मार जुदा हो गई बंद जो बीमार-ए-मोहब्बत की ज़बाँ चारा-गर चुप हैं जुदा मूनिस-ओ-ग़म-ख़्वार जुदा दिल भी क्या जिंस है मनहूस वो फ़रमाते हैं बेचने वाले जुदा रौ में ख़रीदार जुदा तुम अगर जाओ तो वहशत मिरी खा जाए मुझे घर जुदा खाने को आए दर-ओ-दीवार जुदा माल का मोल है मौक़ूफ़ ख़रीदारों पर दश्त-ए-कनआँ है जुदा मिस्र का बाज़ार जुदा मुझ से नाराज़ हैं जो लोग वो ख़ुश हैं उन से मैं जुदा चीज़ हूँ 'नातिक़' मिरे अशआर जुदा