गर दिल में कर के सैर-ए-दिल-ए-दाग़-दार देख ऐ जान ख़ाना-ए-बाग़ की आ कर बहार देख पछताएगा जो हाथ से तू खोएगा हमें हम तुझ से साफ़ कहते हैं ओ बद-शिआ'र देख मैं क्या वहाँ पे गोर तुझे दे अभी जवाब तुर्बत पे मेरी आ के ज़रा तू पुकार देख बाहर हों अपने जामे से गुल बुलबुलें तो क्या गुलशन में इम्तिहान को पोशाक उतार देख अब मुझ में तुझ में एक सर-ए-मू नहीं है फ़र्क़ मू-ए-मियाँ मिला के मिरा जिस्म-ए-ज़ार देख बा'द-ए-फ़ना भी वा रहीं आँखें तो आया तू वा'दा-ख़िलाफ़ी अपनी मिरा इंतिज़ार देख है नूर-ए-हुस्न माने-ए-दीदार-ए-रु-ए-यार आँखें ये कह रही हैं उसे बार बार देख तू तेग़-ए-तेज़ खींचे है मैं सर झुकाए हूँ अपने सितम को देख मिरा इंकिसार देख दरपय हुए हैं जान के ईमाँ तो ले चुके बुत करते हैं सितम मिरे परवरदिगार देख पंजों के बल ज़मीं पे न चल बाँकपन को छोड़ मानिंद-ए-नक़्श-ए-पा है ये ना-पाएदार देख दिखला दे मींह बरसने में बिजली का कौंदना हँस हँस के जानिब-ए-मिज़-ए-अश्क-बार देख कोताह उम्र हो गई और ये न कम हुई ऐ जान आ के तूल-ए-शब-ए-इंतिज़ार देख बद-वज़अ' हम को कह के बना नेक तू चे ख़ुश अतवार अपने देख हमारा शिआ'र देख बिजली गिराई ग़ैर सियह-रू पर ऐ 'क़लक़' तासीर-ए-गर्म आह-ए-दिल-ए-बे-क़रार देख