गर मुझे सादा-दिल बनाया था तो भला क्यों जहाँ में लाया था वाजिब-उल-क़त्ल मानिए उस को जिस ने लफ़्ज-ए-वफ़ा बनाया था साथ ग़म भी तो छोड़ देता है बे-सबब दिल जिगर जलाया था शे'र ये भूप में क्यों गाने लगे मैं ने तो भैरवी बताया था कल मिरे घर में मेरा क़त्ल हुआ ख़ुश बहुत हूँ कोई तो आया था आख़िरी दिन ख़ुदा ये कहने लगा किस ने तुम को यहाँ बुलाया था अब मिरी माँ है बस जो पूछती है किस ने 'मग़्लूब' को सताया था