गर तू मेरे रू-ब-रू शामिल नहीं इस सफ़र की मुझ में ख़ू शामिल नहीं आज तक माँगी नहीं ऐसी दुआ जिस में तेरी आरज़ू शामिल नहीं ऐसी दुनिया का नहीं कोई जवाज़ ऐसी दुनिया जिस में तू शामिल नहीं मैं करूँ क्या ऐसे दिल का जिस में दोस्त तू या तेरी जुस्तुजू शामिल नहीं याद उसे कर सकता हूँ मैं हर जगह इस इबादत में वुज़ू शामिल नहीं ऐसी महफ़िल में भला जाएगा कौन जिस में तेरी गुफ़्तुगू शामिल नहीं कितना बे-मा'नी है मेरा दिखना गर देखने वालों में तू शामिल नहीं हिज्र है तपते हुए सहरा का नाम जिस में कोई आब-जू शामिल नहीं दोस्तों ने मुख़बिरी की थी मिरी इस कहानी में अदू शामिल नहीं