गर्द अपनी उतारता हूँ ज़रा ये शब-ओ-रोज़ झाड़ता हूँ ज़रा कार-ए-दुनिया कोई रिआ'यत कर फ़ुर्सत-ए-ख़्वाब चाहता हूँ ज़रा अब मैं इतना भी सब्र वाला नहीं गाहे गाहे कराहता हूँ ज़रा इक तो मैं चाहता हूँ तन्हाई इक तिरा साथ चाहता हूँ ज़रा करने वाला है इक सितारा कलाम थोड़ी देर और जागता हूँ ज़रा