ग़रीबों के आँगन हैं सब से बड़े ये दुनिया के गुलशन हैं सब से बड़े बड़ी मुख़्तसर सी रही बात ये कि हम अपने दुश्मन हैं सब से बड़े ज़रा देख जलते हुए शहर को सियासत के रौज़न हैं सब से बड़े कहाँ से चले हम कहाँ के लिए तरक़्क़ी के तौसन हैं सब से बड़े ये ख़ाना-बदोशी ये आवारा-पन मोहब्बत में फिसलन हैं सब से बड़े तिरा इश्क़ हम को तिरी आरज़ू ख़ुशी के ये क़दग़न हैं सब से बड़े वो 'पूनम' की बेचैन रातें सनम मिरे साथ रहज़न हैं सब से बड़े