गर्म रफ़्तार है तेरी ये पता देते हैं दम-ब-दम लौ तिरे नक़्श-ए-कफ़-ए-पा देते हैं हिज्र से करते हैं नाशाद हमें वस्ल से शाद ख़ुद मरज़ देते हैं और आप शिफ़ा देते हैं दिल की तुम बात समझते हो ज़बाँ गो न हिले ख़ूब सुनते हो जो चुपके से सदा देते हैं कम न समझें मिरी आहों के शरारों को हुज़ूर आग अभी सारे ज़माने में लगा देते हैं तुम ने एहसान किया है कि नमक छिड़का है अब मुझे ज़ख़्म-ए-जिगर और मज़ा देते हैं उन की तक़दीर में है मेरे लहू में भरना ख़ून की बू तिरे दामान-ए-क़बा देते हैं साफ़ करते हैं अभी ग़ैर ये वो तेग़-ए-अदा दोस्त आ के मुझे पैग़ाम-ए-क़ज़ा देते हैं जागो ऐ मुम्लिकत-ए-इश्क़ के सोने वालो शब को दरबान-ए-दर-ए-यार सदा देते हैं जितने शाइ'र हैं उन्हों ने हमें इज़्ज़त दी है हम 'रशीद' उन को शब-ओ-रोज़ दुआ देते हैं