ग़ौर से देख यार ख़तरा है इश्क़ में बे-शुमार ख़तरा है फिर वही आप का यक़ीं हम पर फिर वही ए'तिबार ख़तरा है हर चमकते हुए सितारे का जुगनुओं में शुमार ख़तरा है इतनी शिद्दत से देखने वाले शिद्दत-ए-एतिज़ार ख़तरा है कोई नादान को ये समझाए आप अपना शिकार ख़तरा है और कोई नज़र न आए हमें इस क़दर ख़ुद से प्यार ख़तरा है साफ़ लफ़्ज़ों में कर बयाँ 'ज्योति' दिल में उठता ग़ुबार ख़तरा है