घर आँगन का मंज़र बदला बदला है हर गुलशन का मंज़र बदला बदला है मस्ख़ हुई है मुश्तरका तहज़ीब यहाँ गंग-ओ-जमन का मंज़र बदला बदला है आज यहाँ कुछ शर्म-ओ-हया की देवी के पैराहन का मंज़र बदला बदला है कोरोना ने ऐसे दिन दिखलाए हैं बज़्म-ए-सुख़न का मंज़र बदला बदला है गले मिलें क्या हाथ मिलाना है मुश्किल ईद-मिलन का मंज़र बदला बदला है सच को सच कहने से वो भी है क़ासिर हर दर्पन का मंज़र बदला बदला है