घर का पर्दा उठा रहा हूँ मैं इस का मतलब कि आ रहा हूँ मैं शुक्रिया बोल आ के तू मुझ को नाज़ तेरे उठा रहा हूँ मैं आ भी जाओ कि वक़्त मुश्किल है तुम को कब से बुला रहा हूँ मैं अपनी महफ़िल में कर के ज़िक्र तिरा अपने दिल को जला रहा हूँ मैं क्या कहूँ तेरे सब ख़ुतूत के साथ तेरा चेहरा भुला रहा हूँ मैं मेरा घर जिस दिए से जलता था उस दिए को बुझा रहा हूँ मैं तुम ने जो भी दिए थे ख़त मुझ को आज वो सब जला रहा हूँ मैं नाम लिक्खा था जिस का हाथों पर नाम उस का मिटा रहा हूँ मैं मैं ने लिक्खी है ख़ून से 'हैदर' शा'इरी जो सुना रहा हूँ मैं