ग़रज़-परस्त रहे जो वो आदमी क्या है किसी के काम न आए तो ज़िंदगी क्या है हज़ार चाँद सितारे सजा दो महफ़िल में नज़र न हो तो नज़ारों में दिलकशी क्या है फ़रेब मिलते हैं अक्सर वफ़ा की राहों में निभा सके न अगर कोई दोस्ती क्या है इसी अंधेरे से फूटेगी रौशनी की किरन चराग़ दिल का जलाओ ये तीरगी क्या है ज़वाल से न बचा आज तक उरूज कोई अजल के सामने इंसाँ की बरतरी क्या है मिटाया ख़ुद को तो ये राज़ जान पाया 'मजीद' ये शे'र चीज़ है क्या और शायरी क्या है