घुँगरू पे बात कर न तू पाइल पे बात कर मुझ से तवाइफ़ों के मसाइल पे बात कर फ़ुटपाथ पर पड़ा हुआ दीवान-ए-मीर देख रद्दी में बिकने वाले रसाइल पे बात कर इस में भी अज्र है निहाँ नफ़ली नमाज़ का मस्जिद में भीक माँगते साइल पे बात कर मेरा दुआ से बढ़ के दवा पर यक़ीन है मुझ से वसीला छोड़ वसाइल पे बात कर आ मेरे साथ बैठ मिरे साथ चाय पी आ मेरे साथ मेरे दलाइल पे बात कर सरदार हैं जो आज वो ग़द्दार थे कभी जा उन से उन के दौर-ए-अवाइल पे बात कर 'वासिफ़' भी सालिकों के क़बीले का फ़र्द है 'वासिफ़' से आरिफ़ों के शमाइल पे बात कर