गिर भी जाएँ तो न मिस्मार समझिए हम को रौशनी सी पस-ए-दीवार समझिए हम को हम भी आख़िर हैं यके-अज़-मुतवस्सित तबक़ा मौत के बाद भी बीमार समझिए हम को बोसे बीवी के हँसी बच्चों की आँखें माँ की क़ैद-ख़ाने में गिरफ़्तार समझिए हम को वक़्त मासूम-ओ-जरी रूहों के दरपय है 'फ़ुज़ैल' ज़िंदा जब तक हैं सर-ए-दार समझिए हम को