गिर गई चिलमन अगर तौबा ज़रूर आप की क़ातिल नज़र तौबा ज़रूर देख कर ऐसी तजल्ली नूर की कैसा शरमाया क़मर तौबा ज़रूर इतनी वुसअ'त में समा सकता नहीं आप का दिल मेरा घर तौबा ज़रूर बस ख़ला ही में क़िला तख़्लीक़ का रेत के दलदल मैं घर तौबा ज़रूर आप कि उल्फ़त में सहरा में फिरूँ ख़्वाब भी देखें अगर तौबा ज़रूर तोड़ कर दिल अब ये कहना आप का जो हुआ अब ग़म न कर तौबा ज़रूर बे-पर-ए-पर्वाज़ उड़ना आप का झूट सीना तान कर तौबा ज़रूर चील का हो घोंसला और गोश्त का मुफ़लिसों के पास ज़र तौबा ज़रूर हर तरफ़ फ़ाक़ा-कशी है भूक है मुल्क में इफ़रात-ए-ज़र तौबा ज़रूर