गिर के बिस्तर पे रो रहा होगा वो भी तकिया भिगो रहा होगा होंट ख़ुशियाँ पिरो रहे होंगे दिल में कुछ दर्द हो रहा होगा ये ज़मीं मुझ पे हँस रही होगी आसमाँ ख़ून रो रहा होगा किश्त-ए-ता'बीर की लगन में कोई ख़्वाब-दर-ख़्वाब बो रहा होगा नज़्र-ए-दुनिया नहीं किया है जो दर्द मेरे सीने में तो रहा होगा राह कट जाएगी मगर 'ताहिर' इक तअ'ल्लुक़ कि जो रहा होगा