गो कि थक-हार कर उड़ान चली फिर भी वो सू-ए-आसमान चली जो मुकम्मल हुई थी पल भर में मुद्दतों तक वो दास्तान चली दिल की मानें कि अक़्ल की मानें ज़िंदगी भर ये खींच-तान चली जाने वाले पलट के देख तो ले पीछे पीछे हमारी जान चली मौत जाने हुई है पास कि फ़ेल ज़िंदगी दे के इम्तिहान चली जंग सारी तुम्हीं को ले कर थी ज़ेहन-ओ-दिल के जो दरमियान चली उस ने ख़ामोश कर दिया मुझ को जिस की ख़ातिर मिरी ज़बान चली