गोया कि छिनी पैरों के नीचे की ज़मीं है क्या पास तिरे झूटी तसल्ली भी नहीं है हम ने तो उसे कर ही दिया दिल से बहुत दूर पर उस का ख़याल उस की मोहब्बत तो यहीं है मा'लूम है यारब है तू शह-ए-रग से क़रीं-तर वो शख़्स मगर जो मिरी धड़कन के क़रीं है हैं आप ही क्यूँ हालत-ए-अफ़्सोस की जा पर क्या होगी 'अनअम' आप की जब अपनी नहीं है