गुज़र जाएँगे ये दिन बेबसी के ज़माने लौट आएँगे ख़ुशी के उठो और बंदगी कर लो ख़ुदा की गुज़र जाएँ न लम्हे बंदगी के ख़ुदा की ज़ात पर रक्खें भरोसा भरेगा वो ख़ज़ाने हर किसी के हमेशा वास्ता नेकी से रखना न जाना पास हरगिज़ तुम बदी के हुई है शम्अ गुल अब प्यार वाली जलें कैसे दिए अब ज़िंदगी के भरोसा है ख़ुदा की रहमतों पर तो क्यूँ फैलाएँ हाथ आगे किसी के ख़ुदा महफ़ूज़ रक्खे हर बला से चलन अच्छे नहीं हैं इस सदी के नज़र नीची ये माथे की मतानत मैं क़ुर्बां आप की उस सादगी के