गुज़रा है नागवार उन्हें बे-कसी का शोर कानों में जिन के गूँज रहा है ख़ुशी का शोर सुनता नहीं लहद में मुझे ख़ामुशी का शोर तहतुश-शुऊर में है अभी ज़िंदगी का शोर मर मर के मैं ने अपने फ़रीज़े किए अदा है मेरे दम से आज तिरी बरतरी का शोर ज़ंजीर-ए-पा से लाज ग़ुलामी की रह गई हर गाम पर उठा है मिरी बंदगी का शोर हैं क़हक़हे किसी के किसी की हैं सिसकियाँ शामिल रहा ख़ुशी में किसी बेबसी का शोर माना हर अंजुमन का तराना है दिल-नवाज़ 'शमसी' हमें अज़ीज़ है अपनी गली का शोर