गुज़राँ हैं गुज़रते रहते हैं हम मियाँ जान मरते रहते हैं हाए जानाँ वो नाफ़-प्याला तिरा दिल में बस घूँट उतरते रहते हैं दिल का जल्सा बिखर गया तो क्या सारे जलसे बिखरते रहते हैं या'नी क्या कुछ भुला दिया हम ने अब तो हम ख़ुद से डरते रहते हैं हम से क्या क्या ख़ुदा मुकरता है हम ख़ुदा से मुकरते रहते हैं है अजब उस का हाल-ए-हिज्र कि हम गाहे गाहे सँवरते रहते हैं दिल के सब ज़ख़्म पेशा-वर हैं मियाँ आन हा आन भरते रहते हैं