गुज़ारिश कर सबा ख़िदमत में तू उस ला-उबाली के तिरे जाने से गुल मुरझा गए हैं नक़्श-ए-क़ाली के मिरे आग़ोश जब से उठ गया है तो मैं रोता हूँ नहीं थमते हैं अश्क-ए-चश्म तस्वीर-ए-निहाली के मैं बे-ख़ुद हूँ मुझे म'अज़ूर रख रोने में ऐ साक़ी मिरी छाती भरी है दर्द से मीना-ए-ख़ाली के तसव्वुर में तसद्दुक़ में हूँ मैं उस शम्अ-रू ऊपर हैं गोया 'इश्क़' हम तस्वीर-ए-फ़ानूस-ए-ख़याली के