गुज़रो न इस तरह कि तमाशा नहीं हूँ मैं समझो कि अब हूँ और दोबारा नहीं हूँ मैं इक तब्अ' रंग रंग थी सो नज़्र-ए-गुल हुई अब ये कि अपने साथ भी रहता नहीं हूँ मैं तुम ने भी मेरे साथ उठाए हैं दुख बहुत ख़ुश हूँ कि राह-ए-शौक़ में तन्हा नहीं हूँ मैं पीछे न भाग वक़्त की ऐ ना-शनास धूप सायों के दरमियान हूँ साया नहीं हूँ मैं जो कुछ भी हूँ मैं अपनी ही सूरत में हूँ 'अलीम' 'ग़ालिब' नहीं हूँ 'मीर'-ओ-'यगाना' नहीं हूँ मैं