गुज़रते वक़्त को बुनियाद करने वाला हूँ जो सब भुलाते हैं वो याद करने वाला हूँ मैं वो नहीं हूँ कि फ़रियाद करने वाला हूँ सुकूत को सुख़न-ईजाद करने वाला हूँ अँधेरी रात और उस पर मिरे चराग़ का ज़ोम उजड़ती बज़्म को आबाद करने वाला हूँ मैं अपना कार-ए-वफ़ा आज़माऊँगा फिर भी कहाँ मैं तेरे सितम याद करने वाला हूँ मैं अंदलीब हूँ इक गुलशन-ए-मोहब्बत का सो मैं भी कुछ मिरे सय्याद करने वाला हूँ