हाँ नहीं के बीच धुँदलाई सी शाम साए साए में है शबनम सा क़याम चेहरे आँखें होंट हँसते हैं तमाम बस्ती बस्ती तोहमत-ए-आवारा-गाम रौशनी की बाज़याबी आफ़्ताब टूटने वाले सितारे तेरा नाम हर्फ़-ओ-लब मालूम सम्तों के नक़ीब दिल सफ़ीर-ए-ना-गहाँ सम्त-ए-कलाम काइनात-ए-लम्स मौजूद-ओ-अदम कुछ न होना भी हुआ इतना तमाम