हाल क्या पूछते हो सोख़्ता-सामानी का दाग़ सरमाया हुआ ज़िंदगी-ए-फ़ानी का ग़र्क-ए-दरिया-ए-निदामत हुआ तूमार-ए-जुर्म ये तो अदना सा करिश्मा है पशेमानी का बा'द-ए-मुर्दन जो अनासिर मिरे बिखरे या-रब उक़्दा हल हो गया हस्ती की परेशानी का संग-ए-दर बाज़ ने संग-ए-दर-ए-मक़्सद समझा ये सिला हम को मिला आप की दरबानी का देख कर मेरी परेशानी-ए-तहरीर कहा ये मुरक़्क़ा' है यक़ीनन किसी दीवानी का