हालात से समझौता तो करना ही पड़ेगा इस आग के दरिया से गुज़रना ही पड़ेगा तकमील-ए-जुनूँ के लिए ऐ बादिया-पैमा कुछ रोज़ बयाबाँ में ठहरना ही पड़ेगा बढ़ती चली जाती हैं शर-अंगेज़ियाँ उस की लगता है हमें रन में उतरना ही पड़ेगा मंज़ूर-ए-नज़र होना है तो अपने लहू से हम सब को 'अरूसाना सँवरना ही पड़ेगा क़ुर्बानी-ओ-ईसार से जानें न चुराएँ जीने की तमन्ना है तो मरना ही पड़ेगा जज़्बात को अब सूरत-ए-अल्फ़ाज़-ओ-मआ'नी हर सफ़्हा-ए-हस्ती पे बिखरना ही पड़ेगा जो किल्क-ए-तसव्वुर ने कभी खींचे थे 'रहबर' रंग अब तुम्हें उन ख़ाकों में भरना ही पड़ेगा