हादसों ने उसे भी तोड़ दिया रेज़ा रेज़ा बिखर गई मैं भी इक भँवर में रहा है वो भी सदा और किनारे न लग सकी मैं भी उस ने सहरा की रेत को ओढ़ा ख़ाक में ख़ाक हो गई मैं भी उस ने ख़ुद को बदल लिया आख़िर और पहली सी कब रही मैं भी मेरे दिल को भी वो न रास आया उस के दिल से उतर गई मैं भी उस के दिल में भी कोई रंजिश थी कुछ ख़फ़ा उस से हो गई मैं भी उस ने भी हिज्र की तपिश झेली बिर्हा की आग में जली मैं भी ज़ो'म उस के भी सब ही टूट गए और न बाक़ी रही मरी मैं भी