है अब तो ये धुन उस से मैं आँख लड़ा लूँगा और चूम के मुँह उस का सीने से लगा लूँगा गर तीर लगावेगा पैहम वो निगह के तो मैं उस की जराहत को हँस हँस के उठा लूँगा दिल जाते उधर देखा जब मैं ने 'नज़ीर' उस को रोका अरे वो तुझ को लेगा तो मैं क्या लूँगा वाँ अबरू-ओ-मिज़्गाँ के हैं तेग़-ओ-सिनाँ चलते टुक सोच तो मैं तुझ को किस किस से बचा लूँगा पड़ जावेगी जब शह वो ऐ दिल तो भला फिर मैं क्या आप को थामूँगा क्या तुझ को सँभालूँगा