है ख़मोशी-ए-इंतिज़ार बला अस्त है एक चुप हज़ार बला देख ले इक नज़र कि है मंज़ूर सद-तबाही ओ सद-हज़ार बला दिलबरी पर है जाँ-फ़ज़ा बे-दाद दिल-दही पर है जाँ-निसार बला हिज्र में आसमाँ मुदाराई वस्ल में है सतीज़ा-कार बला कज-कुलाही का हम-नशीं फ़ित्ना ख़म-ए-गेसू की दोस्त-दार बला आ गई सर पे आक़िबत आफ़त हो गई चश्म-ए-इन्तिज़ार बला है फ़िदा मुझ पे आसमाँ गोया वार वार आई बार बार बला मुझ सा पामाल-ए-रोज़गार है कौन ख़जिल आफ़त है शर्म-सार बला दाग़ का मेरे दर्द-कश सदमा दर्द की मेरे राज़-दार बला सेहन-ए-गुलशन की शम-ए-बज़्म है बर्क़ नौजवानी की है बहार बला ऐ 'क़लक़' आसरे का क्या जीना ज़िंदगी है मआल-ए-कार बला