है किस के लिए लुत्फ़ ग़ज़ब किस के लिए है ये ज़ाब्ता-ए-नाम-ओ-नसब किस के लिए है मेरे लिए अफ़्सुर्दगी-ए-नख़्ल-ए-तमन्ना ये सिलसिला-ए-ताक-ए-तरब किस के लिए है सच पर जो यक़ीं है तो उसे क्यूँ नहीं कहते आख़िर ये ज़बाँ मोहर-ब-लब किस के लिए है है जिस पे मोहब्बत की नज़र होगा परेशाँ ऐ साना-ए-गुल हिज्र की शब किस के लिए है जब दिल को तअल्लुक़ न रहा कू-ए-सनम से ये कशमकश-ए-तर्क-ओ-तलब किस के लिए है इस कार-ए-नज़र ने किया तक़दीर का क़ाइल शब किस के लिए हासिल-ए-शब किस के लिए है