है मिरा रंग-ए-सुख़न रंग-ए-बयाँ कुछ मुख़्तलिफ़ ये नशात-ए-दिलबरी तर्ज़-ए-फ़ुग़ाँ कुछ मुख़्तलिफ़ देखिए किस राह पर चलता रहा है कारवाँ हैं हमारे रास्तों पर ये निशाँ कुछ मुख़्तलिफ़ जो हमारे ज़िक्र को हम से भी पोशीदा रखे अब हमें भी चाहिए इक राज़-दाँ कुछ मुख़्तलिफ़ एक अन-जानी सी चुप है चार सू फैली हुई चाहिए ऐ मेहरबाँ! इक हम-ज़बाँ कुछ मुख़्तलिफ़ है नशात-ए-वस्ल से सरशार आलम ही सभी हम मगर इस हिज्र में हैं शादमाँ कुछ मुख़्तलिफ़ हम सुनाएँ 'शाहिदा' किस तर्ज़ से किस रंग से है कहानी मुख़्तलिफ़ ये दास्ताँ कुछ मुख़्तलिफ़