है मोल-भाव में बाज़ार में है साथ मिरे वो एक कार-ए-फ़ना-ज़ार में है साथ मिरे सलीब-ए-जाँ से विसाल आसमाँ के साहिल तक हर एक लज़्ज़त-ए-आज़ार में है साथ मिरे कभी तो हीरो बनाता है और कभी जोकर हर एक रंग के किरदार में है साथ मिरे यही बहुत है मिरे जिस्म ओ जाँ का हिस्सा है कहीं तो मौजा-ए-ख़ूँ-बार में है साथ मिरे अजब गुमान है जैसे कि सरफ़राज़ हूँ मैं अजीब फ़ित्ना-ए-दस्तार में है साथ मिरे कभी मुझे भी ज़रा मोजज़ा-नुमा करता जो अपनी ज़ात के असरार में है साथ मिरे वो दस्तरस में है लेकिन नज़र से ग़ाएब है हरीफ़-ए-जाँ कोई पैकार में है साथ मिरे मैं इक निगाह को महसूस कर रहा हूँ मुदाम कोई तो रेग-ए-फ़ना-ज़ार में है साथ मिरे वो सारे ख़ेमे लगाता है फिर उखाड़ता है सराब-ए-मंज़िल-ओ-आसार में है साथ मिरे जो छोड़ देता है दश्त-ए-ज़वाल में तन्हा वो रेल-पेल में बाज़ार में है साथ मिरे