है वही एक मेरे सिवा और मैं दोनों तन्हा हैं मेरा ख़ुदा और मैं है ख़ुलासा मिरी ज़िंदगी का यही एक नाकाम हर्फ़-ए-दुआ और मैं तीरगी ख़त्म करने की उम्मीद पर रात भर ही जला इक दिया और मैं कौन जीतेगा इस जंग में देखिए हो गए हैं मुक़ाबिल हवा और मैं आई बरखा की रुत मेरे दुख बाँटने रोए फिर साथ मिल कर घटा और मैं इक तरफ़ वो है और उस के सारे सितम इक तरफ़ सब्र की इंतिहा और मैं क्यूँ सज़ा फिर मिलेगी किसी और को हैं गुनहगार मेरी अना और मैं तिश्नगी की अलामात के तौर पर दो ही नाम आएँगे कर्बला और मैं