हैं जाने-बूझे यार हम, हम साथ अन-जानी न कर दर से हमें दुरकार ना जानी ये नादानी न कर इक दिल था जो तुझ को दिया है और दिल जो और ले हम चाहें तुझ छुट और को ये बात दीवानी न कर अर्श-ए-इलाहुलआलमीं जा-ए-अदब है खोल झड़ है ख़ाना-ए-दिल ग़र्क़ पर देख अश्क तुग़्यानी न कर हैं झोंपड़ियाँ हम-साए में मत आग इन को लग उठे निचली तू रह सीने में टुक, टुक आह जौलानी न कर हम इश्क़ तेरे हाथ से क्या क्या न देखीं हालतें देख आब-दीदा ख़ूँ न हो ख़ून-ए-जिगर पानी न कर आँसू के है दरिया पे आ दिल का सफ़ीना तर रहा अब 'अज़फ़री' मत आह भर कश्ती ये तूफ़ानी न कर