हैं जितनी ख़ूबसूरत उतनी ही हैं बेवफ़ा देखो 'सदा' बस दूर ही से इन हसीनों की अदा देखो मकीं ऐ शैख़ साहिब हर मकाँ में है ख़ुदा देखो बहुत ढूँढा है का'बे में ज़रा अब बुत-कदा देखो करो मत फ़िक्र मरने की कि मरना तो मुसल्लम है मगर मरने से पहले ज़िंदगी का हर मज़ा देखो 'इबादत हो रही है इस जहाँ में कैसे कैसों की ख़ुदा बुत बन के बैठा है बने हैं बुत ख़ुदा देखो बुरा सब से वही है जो बुरा औरों को कहता है बुराई देखने वालो कभी तो आइना देखो बनाया आदमी जिस ने कहाँ है वो ख़ुदा बोलो बनाए आदमी ने तो हज़ारों हैं ख़ुदा देखो बचे जुर्म-ए-ग़ुरूर-ए-पारसाई से भी हम वा'इज़ मज़े के साथ साथ इन लग़्ज़िशों का फ़ाएदा देखो अभी से क्यों परेशाँ हो जहाँ की कज-अदाई पर अभी है इब्तिदा देखी अभी तुम इंतिहा देखो ख़ुदा का नाम भी लेते चलो तुम साथ के साथ अब चली आए न जाने किस घड़ी किस पल क़ज़ा देखो न कुछ ‘इल्म-ए-‘अरूज़ उस को न है अहल-ए-ज़बाँ ही वो बना फिरता है नाहक़ ही 'सदा' नग़्मा-सरा देखो