हम अजब सिलसिला-ए-सैर-ओ-सफ़र रखते हैं हर क़दम एक नई राहगुज़र रखते हैं ज़द पे तूफ़ान के काग़ज़ का नगर रखते हैं लाख सैलाब-ए-हवादिस हो मगर रखते हैं इस के बा-वस्फ़ कि हर सम्त अंधेरा है मुहीत हम हैं वो लोग जो उम्मीद-ए-सहर रखते हैं तेरी बातें तिरी यादें तिरे रंगीन ख़ुतूत अपने हमराह यही ज़ाद-ए-सफ़र रखते हैं हम ख़तावार-ए-ज़माना हैं फ़रिश्ते तो नहीं हैं ज़ियाँ-कार कि औसाफ़-ए-बशर रखते हैं दिल के जुज़दान में इक नाम सजा है 'नासिर' हम किसी हाल में हों उस की ख़बर रखते हैं