हम दिल की तबाही का ये सामाँ न करेंगे इस घर में किसी और को मेहमाँ न करेंगे घबरा के कभी चाक गिरेबाँ न करेंगे बदनाम तुझे फ़स्ल-ए-बहाराँ न करेंगे मिशअल को चराग़-ए-तह-ए-दामाँ न करेंगे जो दाग़ हैं सीने में वो पिन्हाँ न करेंगे टकराएँगे तेरे लिए हर मौज-ए-बला से साहिल पे खड़े शिकवा-ए-तूफ़ाँ न करेंगे ऐ वो कि तिरी याद है तस्कीन-दिल-ओ-जाँ हालात हमें कुछ भी परेशाँ न करेंगे ये दर्द कि है तेरी मोहब्बत की अमानत मर जाएँगे इस दर्द का दरमाँ न करेंगे ऐ दोस्त मोहब्बत की नज़ाकत है नज़र में हम तुझ को किसी तौर पशीमाँ न करेंगे दिल में है तिरी चाह तो ऐ जान-ए-तमन्ना हम और किसी चीज़ का अरमाँ न करेंगे