हम फ़क़ीरों की जेब ख़ाली है याद लेकिन तिरी बचा ली है आसमाँ से कोई ख़याल उतरे ज़ौक़ यारब मिरा सवाली है राज़ पिन्हाँ थे सब ख़िज़ाओं के ख़ुश्क पत्तों ने बात उछाली है तेरी यादों से भागना कैसा बस तवज्जोह ज़रा हटा ली है लोग आते हैं डूब जाते हैं ज़ात क़ुल्ज़ुम जो अब बना ली है नूर-ए-यज़्दाँ का तूर पे जा कर हम ने देखा मुराद पा ली है इश्क़ हासिल भी और ला-हासिल रात रौशन भी और काली है