हम कामयाब हो के भी नाकाम रह गए इज़हार कुछ हुआ भी तो इबहाम रह गए आज़ाद हो के जूँ ही खुले मेरे बाल-ओ-पर मुझ पर खुला कि पाँव तह-ए-दाम रह गए मैं दे सका न उन को किसी तजरबे की आँच अफ़्सोस कुछ ख़याल मिरे ख़ाम रह गए करती रही ज़बाँ मिरी बे-दस्त-ओ-पा मुझे बातों में उम्र बीत गई काम रह गए मैं राह देखता रहा यारों की सुब्ह तक 'बासिर' भरे-भराए मिरे जाम रह गए