हम से भली चाल चली चाँदनी सोए तो लुक-छुप के टली चाँदनी ऐसे भी कुछ लोग मिले शहर में जिधर चले साथ चली चाँदनी अपने मुंडेरे भी कभी आइयो वो है फ़क़ीरों की गली चाँदनी घुला मिला रंग पहेली हुआ निपट अंधेरों में पली चाँदनी हमें तो कुछ ऐसे फबा गेहुवाँ मुफ़्त मिली मुफ़्त न ली चाँदनी तू है अगर चाँद भी होगा यहीं डोलियो मत गली गली चाँदनी सुब्ह तलक फूल बरसते रहे रोती फिरी कली कली चाँदनी