हम सितारों में तिरा अक्स ना ढलने देंगे चाँद को शाम की दहलीज़ पे जलने देंगे आज छू लेंगे कोई अर्श मिरे वहम-ओ-गुमाँ ख़्वाब को नींद की आँखों में मचलने देंगे हम भी देखेंगे कहाँ तक है रसाई अपनी दिल को बहलाएँगे हम और ना सँभलने देंगे शब की आग़ोश में फैलें न गुमाँ के साए अब निगाहों में कोई ख़ौफ़ ना पलने देंगे हो न जाए कहीं अंजाम से पहले अंजाम इस कहानी को इसी तौर से चलने देंगे अक्स-दर-अक्स मिलेंगे तुझे मंज़र मंज़र तू जो चाहे भी कहाँ तुझ को बदलने देंगे नक़्श-दर-नक़्श हुए जाएँगे बस ख़ाक यहीं ख़ूद को इस दश्त-ए-गुमाँ से ना निकलने देंगे