हम तो बिछड़ के रो लेते हैं दाग़-ए-जुदाई धो लेते हैं ग़म को नाहक़ रुस्वा करने मय-ख़ाने को हो लेते हैं हो जाते हैं ख़ुद वो मुक़द्दस नाम भी उन का जो लेते हैं जिस ने भी कीं प्यार से बातें साथ उस के हो लेते हैं क्यूँ चाहें अख़्लाक़ की फ़सलें वो जो नफ़रत बो लेते हैं देव परी के क़िस्से सुन कर भूके बच्चे सो लेते हैं