हमारे दिल में तुम्हारी चाहत कभी थी जानाँ पर अब नहीं है हमें भी तुम से बहुत मोहब्बत कभी थी जानाँ पर अब नहीं है हम अपने अश्कों को रोक लेंगे मगर न शिकवा कोई करेंगे तुम्हारे शाने की वो ज़रूरत कभी थी जानाँ पर अब नहीं है वो रू-ए-रौशन वो मस्त आँखें थी जिन पे क़ुर्बां सभी बहारें तुम्हारे चेहरे की ऐसी रंगत कभी थी जानाँ पर अब नहीं है हम इतने नादान भी नहीं हैं के बारिशों में पतंग उड़ाएँ हमारी इतनी ख़राब आदत कभी थी जानाँ पर अब नहीं है तुम्हें पशेमान देखने का ख़याल दिल में बहुत था पर अब हमारी आँखों को ऐसी हसरत कभी थी जानाँ पर अब नहीं है तुम्हारी जानिब उठें जो आँखें हम ऐसी आँखों को नोच डालें हमें रक़ीबों से यूँ अदावत कभी थी जानाँ पर अब नहीं है इन आँधियों से बचा के रखना चराग़ अपने तमाम 'साहिल' हवा से लड़ने की हम में हिम्मत कभी थी जानाँ पर अब नहीं है