हमारे हाल की जा कर उन्हें ख़बर तो करें वो क्यूँ न आएँगे तदबीर चारा-गर तो करें करेंगे अर्ज़ भी कुछ चैन ले ज़रा ऐ दिल वो अंजुमन में हमारी तरफ़ नज़र तो करें बहुत से तिश्ना-ए-दीदार रोज़ जा बैठें मगर कभी वो सर-ए-रहगुज़र गुज़र तो करें जला दे शम्अ की मानिंद तू मुझे ऐ इश्क़ कि और लोग ज़रा तुझ से अल-हज़र तो करें हम उन से ज़िक्र नहीं करते बज़्म-ए-आदा का कि ज़िक्र वो है ये मंज़ूर हो जो शर तो करें