हमारे हाल पे किस दिन जफ़ा नहीं करते ये और बात कि वो बरमला नहीं करते ये रंग-ओ-नूर की दुनिया नज़र-नवाज़ सही तिरे फ़क़ीर मगर ए'तिना नहीं करते ज़रूर कोई ख़ता हम से हो गई होगी वो बे-सबब तो किसी पर जफ़ा नहीं करते कभी तो उन को हमारा ख़याल आएगा हम इस उम्मीद पे तर्क-ए-वफ़ा नहीं करते उन्हीं से हम को मोहब्बत की दाद है मतलूब वही जो पास-ए-मोहब्बत ज़रा नहीं करते दर-ए-हबीब पे जाते हैं बारहा 'शफ़क़त' दर-ए-हबीब पे लेकिन सदा नहीं करते