हमारे साथ माज़ी के कई क़िस्से निकल आए बहुत से दोस्त दुश्मन मारने मरने निकल आए पलटता देख कर मंज़िल ने यूँ आवाज़ दी हम को पुराने रास्तों में से नए रस्ते निकल आए किया था साफ़ हम ने रास्ता अश्जार कटवा कर कहाँ से रोकने को रास्ता पत्ते निकल आए हमारी नींद से जब वापसी मुमकिन हुई यारो खुला हम पर कि हम तो सुब्ह से आगे निकल आए हमारे साथ 'जाज़िब' क़ाफ़िला निकला था जो उस में बहुत से अजनबी थे और कुछ अपने निकल आए