हमारी क़िस्मत में क्या लिखा है पता नहीं है सुना है मेहनत का फ़ल्सफ़ा है पता नहीं है तू अपनी दुनिया से मेरी दुनिया बिसार बैठा या अब भी मुझ में ही मुब्तला है पता नहीं है बता कि औरत के सब मसाइल का हल है आँसू या उस का आँसू ही मसअला है पता नहीं है पता नहीं है कि हम को दर-अस्ल क्या पता है कि हम को दर-अस्ल जो पता है पता नहीं है हमारे आगे हज़ार मंज़र बदल रहे हैं ये किन मनाज़िर पे मन रुका है पता नहीं हैं हर इक ज़मान-ओ-मकाँ में सच का बदलना तय है सो हम को फ़िल-वक़्त जो पता है पता नहीं हैं