हमें जो शौक़ था अच्छाइयों का वही बाइ'स बना रुस्वाइयों का मैं दिल को दफ़्न कर आया वहीं पर जहाँ कल शोर था शहनाइयों का फ़क़त इस वास्ते ख़ामोश थे हम हमें डर था तिरी रुस्वाइयों का मेरी उलझन के आगे सर-निगूँ हैं वो जिन को ज़ो'म था दानाइयों का जिसे देखो वो धोका दे रहा है तुम्हारा शहर है हरजाइयों का न छोड़ेंगे कभी तुम को अकेला हमें एहसास है तन्हाइयों का वो अब महँगाई पर ख़ामोश क्यों हैं जिन्हें ग़म था बहुत महँगाइयों का उसे हाकिम बनाया जा रहा है जो कल सरदार था बलवाइयों का